पंछी
दूर देश से आता पंछी,
सबका दिल बहलाता पंछी;
चिं-चिं करके, चूं-चूं करके,
सबके दिल पर जाता पंछी।
तिनका-तिनका जोड़-जोड़ कर,
पेड़ की ओर ले जाता पंछी;
उसी पेड़ की एक डाल पर अपना नीड़ बनता पंछी,
अपना सुन्दर नीड़ बनाकर श्रम की शिक्षा दे जाता पंछी।
विशाल शर्मा
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